अब क्या समझूँ इसे ?
अब क्या समझूँ इसे नासमझी या खिल्ली मेरी उड़ा रहे हो?
'' ३२ गुण मिलते हैं मुझसे ''- हंसते मुस्काते बता रहे हो।
अब क्या समझूं इसे नासमझी ....
हम दोनों की राह अलग है
और अब पाठ वफ़ा के पढ़ा रहे हो।
अब क्या समझूं इसे नासमझी ....
पर तुम तो वही हो ना ....
जो हाथ छुड़ा और प्यार भुला के,
दिल दुख के चले गए थे।
'' अब से हम बस दोस्त रहेंगे ''
फरमान सुना के चले गए थे।
दिल से दिल तब जोड़ न पाए,
और अब साज़ पुराने छेड़ रहे हो।
अब क्या समझूँ इसे नासमझी या खिल्ली मेरी उड़ा रहे हो?
'' ३२ गुण मिलते हैं मुझसे ''- हंसते मुस्काते बता रहे हो।
'' ३२ गुण मिलते हैं मुझसे ''- हंसते मुस्काते बता रहे हो।
अब क्या समझूं इसे नासमझी ....
हम दोनों की राह अलग है
और अब पाठ वफ़ा के पढ़ा रहे हो।
अब क्या समझूं इसे नासमझी ....
पर तुम तो वही हो ना ....
जो हाथ छुड़ा और प्यार भुला के,
दिल दुख के चले गए थे।
'' अब से हम बस दोस्त रहेंगे ''
फरमान सुना के चले गए थे।
दिल से दिल तब जोड़ न पाए,
और अब साज़ पुराने छेड़ रहे हो।
अब क्या समझूँ इसे नासमझी या खिल्ली मेरी उड़ा रहे हो?
'' ३२ गुण मिलते हैं मुझसे ''- हंसते मुस्काते बता रहे हो।
Very Nice Ji
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