।। आओ फिर बच्चे बन जाएं।।

भीड़-भाड़ भरी इस दुनिया से अलग, ग़जब अनोखा इक जहां बसायें।
व्यस्त हूं मैं और व्यस्त हो तुम, हर शख्स मगन है अपनी धुन में।
मिलने का कोई ज़रिया अपनाएं।
आओ फिर बच्चे बन जाएं।
आओ फिर बच्चे बन जाएं।।

है वक्त कम और काम ज्यादा, आराम कम और चिंता ज्यादा।
घर, गाड़ी और रुपया-पैसा, इस सब से कुछ पल जान छुड़ाएं।
आओ फिर बच्चे बन जाएं।।

किसी का लालच, किसी से नफ़रत, बेफिजूल हो बातें सारी।
खेल - खेल में दिन सब बीतें, ऊँच-नीच भेदभाव मिटा के सब मन के सच्चे बन जाऐं।
आओ फिर बच्चे बन जाएं।।

घर का आंगन, खेतों की मिट्टी, खिली धूप अम्बर के नीचे,
बंद कमरों की जेल तोड़, फोन से कुछ  पल नाता तोड़,
असली दुनिया का पता लगाएं।
आओ फिर बच्चे बन जाएं।।
आओ फिर बच्चे बन जाएं।।

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