। । तब याद तुम्हारी आती है । ।

  । । तब याद तुम्हारी आती है । ।

मनचली हवा जब गाल चूम, ज़ुल्फ़ों को छेड़ मुड़ जाती है
और दिल की धड़कन पल भर में एकाएक बढ़ जाती है।
जानी -पहचानी सी एक महक ना-जाने कहाँ से आती है
और हल्की मुस्कान  इस चेहरे पे बेवज़ह  छा जाती है।
हाँ। तब याद तुम्हारी आती है।

दो पंछी जब साथ-साथ इस छत पर दाना चुगते हैं।
हाथों में हाथ लिए दो प्रेमी, जब प्यार में झूमे दिखते हैं।
जब दूर पहाड़ी पर ये धरती अंबर से मिलती दिखती है
और कुछ पपुरानी चीज़ें अलमारी की नई-नई सी दिखतीं हैं।
हाँ। तब याद तुम्हारी आती है।

जोड़े में से इक पंछी जब दूर कहीं उड़ जाता है
और साफ़ मौसम के बावजूद ये बादल घिर के आता है।
बारिश की बूंदे भीगा-भीगकर जब बेचैनी बढ़ातीं हैं।
तब  भी याद तुम्हारी आती है।
हाँ। तब याद तुम्हारी आती है।

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